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18-Oct-2023
आखिर निठारी कांड का दोषी कौन ?
इलाहबाद हाईकोर्ट ने नोएडा मे 2006 मे हुए निठारी कांड के दोनों दोषियों मनिंदर सिंह पंढेर और सुरेंद्र कोहली को आखिर कार बरी कर दिया जिसके बाद इस सनसनीखेज कांड के सभी पीड़ित काफी निराश है क्यूंकी 18 साल बाद भी 18 मासूमों और एक महिला को इंसाफ नहीं मिल सका हाईकोर्ट के इस फैसले के बाद ये सवाल अब भी जवाब मांग रहे हैं कि अगर ये दोनों निर्दोष है तो फिर आखिर उन 18 मासूमों की हत्या किसने की... बेरहमी से शवों के टुकड़े किसने किए दुष्कर्म जैसे घिनौना कृत्य किसने किया और नरभक्षी कौन थे
आपको बता दें की नोएडा मे ये सनसनीखेज़ मामला तब सामने आया था जब 29 दिसंबर, 2006 को पंढेर के घर के पास से गुज़रने वाले नाले में आठ बच्चों के कंकाल मिले थे जब ये बात पुलिस को पता चली तो मामले की जांच करने पर पंढेर के घर के पास के नालों की तलाशी के बाद पुलिस को और भी कई कंकाल बरामद हुए इनमें से अधिकतर अवशेष उन गरीब बच्चों और कम उम्र की महिलाओं के थे जो इस इलाके से लापता हुए थे, दरअसल 29 दिसंबर 2006 को नोएडा के सेक्टर 31 के निठारी गांव की डी-5 कोठी के आसपास एक के बाद एक नर कंकाल मिलने से लोगों की रूह कांप उठी थी। जांच शुरू हुई तो चौंकाने वाले खुलासे हुए और लापता 18 बच्चों और एक कॉल गर्ल की हत्या की बात सामने आई। D-5 कोठी मोनिंदर सिंह पंधेर की थी और वह वहीं रहता था। सन 2000 में उसने ये कोठी खरीदी थी। मोनिंदर ने घर पर अल्मोड़ा निवासी सुरेंद्र कोली को नौकर रखा था। लेकिन धीरे-धीरे इस इलाके से अचानक कई बच्चे और बच्चियां लापता होनी शुरू हो गईं। साथ ही एक कॉल गर्ल भी लापता हो गई। अब नोएडा पुलिस ने इन मामलों के लिए दो टीमें बनाई। एक टीम बच्चों के लापता होने को लेकर मानव तस्करी के अंगल से अलग-अलग गैंग पर पंजाब, हरियाणा, राजस्थान समेत अन्य प्रदेशो में काम कर रही थी। वहीं, दूसरी तरफ एक टीम कॉल गर्ल की तलाश में लगी हुई थी। लेकिन जब 29 दिसंबर 2006 को मोनिंदर सिंह पंधेर की D-5 कोठी के आगे नाले और पीछे खाली जगह में कई कंकाल मिले तब जाकर दोनों जांच एक ट्रैक पर शुरू हो गई जिस जांच का जिम्मा सीबीआई को दिया गया। डी-5 कोठी के मालिक मोनिंदर सिंह पंढेर और नौकर सुरेंद्र कोली आरोपी बने और 16 केस में ट्रायल शुरू हुआ और कई केस में दोनों को फांसी की सजा सुनाई गई निठारी कांड के अन्य मामलों का खुलासा होने पर उन मामले को भी सीबीआई ने 11 जनवरी 2007 को अपने हाथ में ले लिया था जिसके बाद सीबीआई ने 26 जुलाई 2007 को अदालत में चार्जशीट पेश की थी इस मामले में सीबीआई कोर्ट में 305 दिन सुनवाई हुई। इस दौरान कुल 38 गवाह पेश किए गए। इस बीच इस केस ने कई मोड़ लिए जेसे मई 2007 में सीबीआई ने पंढेर को अपनी चार्जशीट में अपहरण, दुष्कर्म और हत्या के मामले में आरोपमुक्त कर दिया था लेकिन दो महीने बाद कोर्ट की फटकार के बाद सीबीआई ने उसे फिर सहअभियुक्त बनाया, 13 फरवरी 2009 को विशेष अदालत ने पंढेर और कोली को 15 वर्षीय किशोरी के अपहरण, दुष्कर्म और हत्या का दोषी करार देते हुए मौत की सजा सुनाई ये इस केस में पहला फैसला था, 3 सितंबर 2014 को कोली के खिलाफ कोर्ट ने मौत का वारंट भी जारी किया लेकिन वकीलों के एक समूह डेथ पेनल्टी लिटिगेशन ग्रुप्स ने कोली को मृत्युदंड दिए जाने पर पुनर्विचार याचिका दायर की पर सुप्रीम कोर्ट ने मामले को इलाहाबाद हाईकोर्ट भेज दिया और 28 जनवरी 2015 को हत्या मामले में कोली की फांसी की सजा को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उम्रकैद में तब्दील कर दिया
लेकिन अब करीब 17 साल बाद इलहबाद हाई कोर्ट ने दोनों को बरी कर दिया। कोर्ट ने कहा की पुलिस दोनों के खिलाफ आरोप साबित करने में विफल रही। साथ ही हाईकोर्ट ने ये भी कहा की जांच एजेंसियों ने अंग व्यापार के गंभीर पहलुओं की जांच किए बिना ही एक गरीब नौकर को खलनायक की तरह पेश कर उसे फंसाने का आसान तरीका चुना। साथ ही आरोपी अपीलकर्ताओं की निचली अदालत से स्पष्ट रूप से निष्पक्ष सुनवाई का मौका नहीं मिला। लेकिन कोर्ट की सभी दलीलों के बाद भी ये सवाल अभी बरकरार है की अगर इन दोनों ने उन 18 मासूमों की जान नहीं ली तो आखिर उनका हत्यारा कौन है ?
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